Wednesday, July 16, 2014

क्या बकरी का दूध गाय के दूध से बेहतर है?

आजकल समूचे विश्व में गाय का दूध ही सर्वाधिक उपयोग में लाया जाता है परन्तु अक्सर देखने में आया है कि कुछ लोग इसे आसानी से हजम नहीं कर सकते. कुछ लोगों की मान्यता है कि गायों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए इन्हें हारमोन, आनुवंशिक रूप से परिवर्तित चारे तथा विभिन्न प्रकार के टीके दिए जा रहे हैं. इनके चारे में दुर्घटनावश विषाक्त पदार्थों के प्रवेश होने से भी गाय के दूध की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में बकरियों का दूध एक स्वास्थ्यवर्धक पेय के रूप में लोकप्रिय हो रहा है. अगर देखा जाए तो एक गाय के स्थान पर तीन बकरियों को पालना आसान है जिससे यह पर्यावरण के अधिक अनुकूल है. बकरी का दूध पीने से बहुत लाभ हैं-
·         जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिसिन के अनुसार बकरी का दूध एक सर्वोत्तम आहार है. इस दूध की संरचना माँ के दूध से बहुत मिलती-जुलती है जिसके कारण यह आसानी से हजम हो जाता है. बकरी के दूध में पाए जाने वाले बीटा केसीन की संरचना गाय के दूध में मिलने वाले केसीन से भिन्न होती है.
·         गाय के दूध की तुलना में बकरी का दूध प्राकृतिक दृष्टि से अधिक समय तक समरूप अथवा ‘होमोजनाइज्ड’ रहता है. गाय के दूध में अग्लुटिनीन होने के कारण यह कुछ समय बाद ऊपरी वसायुक्त सतह व निचली वसा-रहित परत में विभक्त हो जाता है. दूध को समरूप बनाने के लिए इसे अत्यंत संकरे छेद में से अधिक दाब द्वारा निकाला जाता है ताकि वसा के बड़े कण टूट कर महीन हो जाएँ. इस क्रिया में दूध तो समरूप हो जाता है परन्तु कुछ अत्यंत क्रियाशील पदार्थ जैसे ‘जेंथीन ऑक्सीडेज़’ भी निकलते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं. बकरी के दूध में कोई अग्लुटिनीन नहीं होने से यह समरूप रहता है.
·         कोई एलर्जी न करने तथा गाय के दूध से अधिक पाचनशील होने के कारण भी बकरी के दूध की स्वीकार्यता अधिक पाई गई है. गाय के दूध में एलर्जी करने वाले बहुत से पदार्थ होते हैं जो बकरी के दूध में नहीं मिलते. इसलिए बकरी का दूध बच्चों के लिए सुरक्षित माना गया है.
·         इसमें प्रोटीन व अमीनो-अम्ल तो प्रचुर मात्रा में होते हैं जबकि वसा की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है. अतः इसे मोटापा कम करने के लिए भी उपयुक्त माना गया है. बकरी के ताज़ा दूध में ऐसे एन्जाइम होते हैं जो कैल्शियम के बेहतर अवशोषण में सहायक हैं.
·         गाय के दूध के मुकाबले बकरी के दूध में अनिवार्य वसीय अम्ल जैसे लीनोलिक एवं एराकिडोनिक अम्ल अधिक मात्रा में मिलते हैं.
·         गाय के दूध में वसीय अम्लों की मात्रा लगभग सत्रह प्रतिशत तथा बकरी के दूध में ये पैंतीस प्रतिशत तक हो सकते हैं. इसके अतिरिक्त बकरी के दूध में वसा के कण अपेक्षाकृत बहुत छोटे होते हैं तथा इसमें छोटी एवं मध्यम आकार की श्रृंखला के वसीय अम्ल गाय के दूध की तुलना में कहीं अधिक होते हैं. अतः पाचनशीलता एवं पोषण की दृष्टि से यह अधिक बेहतर होता है.
·         बकरी के दूध में प्री-बायोटिक पदार्थ होते हैं जो आँतों में पाए जाने वाले लाभदायक जीवाणुओं जैसे बाइफिडो-बैक्टिरिया की संख्या में वृद्धि करने में सहायक है. इसमें ए.टी.पी. अथवा ऊर्जायुक्त अणु भी अधिक मात्रा में मिलते हैं जो कोशिकाओं की बहुत-सी चयापचयी क्रियाओं में प्रयुक्त होता है.
·         आँतों के रोग से पीड़ित व्यक्तियों हेतु यह अधिक फायदेमंद है क्योंकि इसके सेवन से आँतों की सूजन व जलन नहीं होती है. यह दूध ताजा ही पीना चाहिए क्योंकि उबालने पर इसके एन्जाइम एवं अन्य पोषक तत्वों पर दुष्प्रभाव पड़ता है तथा इसका वसा दुर्गन्ध-युक्त होने लगता है.
·         बकरी का दूध शरीर में तेज़ाब नहीं बनने देता क्योंकि इसकी एसिड के प्रति प्रतिरोध क्षमता गाय के दूध से बेहतर होती है.
·         जो लोग लैक्टोस के कारण गाय का दूध नहीं पचा सकते, उनके लिए बकरी का दूध एक सर्वोत्तम आहार है क्योंकि इसमें अपेक्षाकृत कम लैक्टोज होता है. यह गाय के दूध की तुलना में अधिक कैल्शियम, फोस्फोरस, ताम्बा, मेंगनीज़, रायबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन ए तथा बी-12 होने के कारण कहीं अधिक स्वास्थ्यवर्धक है.
·         बकरी के दूध में सेलेनियम नामक सूक्ष्म-मात्रिक खनिज पाया जाता है जो ऑक्सीकरण-विरोधी गुणों के कारण रोग-प्रतिरोध क्षमता को बेहतर बनाता है. अनुसंधान द्वारा गत हुआ है कि इसके दूध से लोहे व ताम्बे का चयापचय शीघ्रता से होता है.
आजकल बकरी का दूध सभी स्थानों पर आसानी से उपलब्ध नहीं होता है इसलिए अधिकतर लोग इसके लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं. विदेशों में बकरी के दूध से तैयार बहुत से ऐसे उत्पाद बेचे जाते हैं जिनमें बकरी के दूध के श्रेष्ठ गुणों को समाहित किया गया है. कुछ लोग इसके दूध की व्हे बना कर बेचते हैं जिसमें दुग्ध-प्रोटीन व प्रचुर मात्रा में खनिज मिलते हैं. इसके दूध को शून्य डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर सुखाया जाता है ताकि इसे दीर्घावधि के लिए रखा जा सके. इस प्रक्रिया में इसके संघटकों को कोई क्षति नहीं होती तथा यह ताज़े दूध के सामान ही फायदेमंद होता है. बकरी के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीनों को अलग करके भी डिब्बा बंद उत्पाद के रूप में बेचा जाता है. इसके अतिरिक्त इसके दूध से निर्मित प्रोबायोटिक पदार्थ भी मिलते हैं जो न केवल शरीर की पाचन-क्रिया बढाते हैं बल्कि रोग-प्रतिरोध क्षमता को भी बेहतर बनाते हैं. यदि बकरी के दूध से मिलने वाले फायदों पर नज़र डालें तो यह गाय के दूध से कहीं अधिक बेहतर पाया गया है.


आज आवश्यकता इस बात की है कि इसके दूध के विपणन पर और अधिक ध्यान दिया जाए ताकि इसकी स्वीकार्यता बढ़ सके. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हमें उपभोक्ताओं को अधिक शिक्षित व जागरूक बनाने की आवश्यकता है, जो परम्परागत दृष्टि से केवल गाय या भैंस के दूध का ही सेवन करते आ रहे हैं. विश्व के अनेक देशों में बकरी के दूध को गाय के दूध से बेहतर माना जाता है. गाँवों में छोटे व मझोले किसान अपने जीवनयापन हेतु बकरियों को पालना पसंद करते हैं क्योंकि इस पर कहीं कम मात्रा में खर्च आता है. बकरी पालन हेतु न तो बहुत अधिक स्थान की आवश्यकता होती है और न ही इनके रख-रखाव पर अधिक खर्च करने की आवश्यकता पड़ती है.

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